जादौन क्षत्रिय राजवंश ::--
यदुवंशी क्षत्रिय ( जादौन/जादव , जाडेजा , भाटी और चुडासमा ) .. जय चंद्रवंशीय अवतार भगवान श्री कृष्णा .. जय श्री ठाकुर जी महाराज...
इन वीर क्षत्रियों के इतिहास के वर्णन से पूर्व इनकी उत्पति के बारे में विचार करते हे |
आदिकालीन ऋषि अत्रि के वंशज सोम की संपत्ति (सोमवंशी ) चंद्रवंशी कहलाये। इस वंश के छठे (6th) चंद्रवंशी राजा ययाति के पुत्र चंद्रवंशी राजा यदु के वंशज "यदुवंशी" कहलाये। यदुवंश की 39वी पीढ़ी में श्री कृष्णा हुए और वही श्री कृष्णा से 88वी पीढ़ी के राजा भाटी अंतिम यदुवंशी शासक हुए। अंतिम यदुवंशी शासक से अभिप्राय यह कि राजा भाटी के बाद यदुवंश यादों , भाटी , जाडेजा और चुडासमा उपशाखाओ से जाना गया। यादों से जादों और फिर जादौन/जादव ,, इस प्रकार यदुवंश में भाटी , जादौन/जादव , जाडेजा और चुडासमा ( जाडेजा और चुडासमा गुजरात में सबसे ज्यादा है ) राजपूत वंश चले। वर्तमान में करोली ( राजस्थान ) यदुवंशी जादौन ( जादव ) राजपूतो की सबसे बड़ी रियासत है।जिसकी स्थापना 13वी शताब्दी में हुयी थी।
करोली राजघराने से आकर ठाकुर छतरभुज सिंह जी ने उत्तर प्रदेश के एटा जिले में अबागढ़ जागीर वसाई। (Thakur Chhatarbhuj Singh was founder of the present jagir of Awargarh in 1701) राजा बलवंत सिंह (Raja Saheb of Awagarh 1892/1909) अबागढ़ जागीर के वहुप्रसिद्ध राजा हुए है , इन्होने कॉलेज निर्माण के लिए हजारो एकड़ जमीन दान में दी। जहा उनकी म्रत्यु (1909) के बाद उनके नाम से "राजा बलवंत सिंह कॉलेज " आगरा में बनवाया गया।
जादौन राजपूतो के ठिकाने -अबागढ़ , मिश्रा , सोमानी (अलीगढ ) अलीगढ जिले में लगभग ८०-१०० गाँव है। , कोटला ,रहिहाबाद , शमशाबाद (आगरा ), मुसफाबाद ,घिरौर (मैनपुरी ) , सिरसागंज (फिरोजाबाद ) ,सिरसागंज के आस -पास जादौन राजपूतो के लगभग 84 गाँव है। यहा जादौन राजपूत करौली और बयाना के क्षेत्रो से संवत 1400 से 1600 के बीच में आ कर बसे | अडीग ( मथुरा ) , कौल ,हसनगढ़ , अकबराबाद, सिकदाराराम , खैर , किरावली , जेवर ( बुलन्दशहर ) इसके आलावा बुलन्दशहर में लगभग १००-१५० गाँव ऐसे है जहा जादौन राजपूत बहुतायत में है। आदि उत्तरप्रदेश में जादौन राजपूतो के ठिकाने है। इस प्रकार उत्तरप्रदेश में लगभग ४००-४५० गाँव जादौन राजपूतो के है। उत्तरप्रदेश में बसे ज्यादातर जादौन करोली से आये अपने पूर्वजो की संतान है। करोली जिले में जादौ पट्टी में 37 जादौन के ठिकाने है। भिंड और मुरैना मध्यप्रदेश में भी जादौन के लगभग 30 गाँव है। कुछ के नाम यहाँ उपलब्ध है - ( मुरैना ->> चचिहा ,धमकन,अटा, कीरतपुर, सुमावली, नरहेला, बुरावली,शहदपुर, बडोना, बांसी, गढ़ी ,हथरिया ,घुरघान, केमरा। भिंड -->> सोंधा,मानपुरा,चंदपुरा, विजयपुरा,जेतपुरा,रसनोल, पीपरपुरा, बिरखड़ी , अटर तहसील में उडोतगढ़ ) .. मुरैना के पास सबलगढ़ में हीरापुर गाँव के आसपास बहुतायत में जादौन राजपूत बसे है। लगभग 50 गाँव है। राजस्थान के धोलपुर और भरतपुर के डीग में 15-20 गाँव हे।
करोली के जादौन श्री कृष्णा जी की 64वी पीढ़ी से है।
करौली जिले में जितने भी जादौन है उनकी 52 तड़े (शाखा) हैं। करौली जिले में जादौन तड़ है -गौंजा, पाल, मुकुन्द, रेदास, आदि है.
नोट - इन्दु और सोम संस्कृत में चन्द्र के पर्यायवाची है.. इसलिए चन्द्र-वंश , सोम-वंश अथवा इन्दु-वंश किसी भी शब्द का प्रयोग किया जा सकता है... संभवतः वर्तमान हिन्दू शब्द का मूल भी इन्दु ही हो। यदुवंश की ८ शाखाये बताई जाती है,,,
यदु (जादव /जादौन ) --- करोली का राजवंश
भाटी ---- - जैसलमेर का राजवंश
जाडेजा --- कुच्छ भुज का राजवंश
समैचा --- सिंध के मुसलमान
वाकी के बारे में कोई ठोस प्रमाण नही है..
जाडेजा और चुडासमा दोनों के बारे में ऐसा मत है की ये समा में से अलग हुए है,, जो की यदुवंश का हिस्सा था..
** इस लेख में मौजूद जादौन राजपूतो के ठिकाने के अलावा भी पूरे भारत में जादौन राजपूतो के और भी कई ठिकाने है , लेकिन जानकारी के आभाव में उनके नाम यहाँ उपलब्ध नही है।
** कुछ जगह करोली की स्थापना 15वी शताब्दी में हुयी बताई गयी है।
** चन्द्रवंशी राजाऔँ (श्रीकृष्ण के वंशज) कि अब तक 9 राजधानीयाँ जिनमेँ गजनी भी एक है के लिए कहा जाता है-
काशी मथुरा प्रयागबड़ गजनी अर भटनेर,
दिगम दिरावल लुद्रवो नौवोँ जैसलमेर।
यदुवंशी उत्पत्ती के बारेमे
अग्निपुराण प्रमाण है उसमे
अध्याय 274 मे सोमवंश के वर्णन मे लिखा है कि," भगवान विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्माजी,ब्रह्माजी से महा ऋषी अञि,अञि से
सोम,सोम से बुध एवं
पुरुरवा,पुरुरवा से आयु और आयु से नहुष हुए जिन्होने देश मे सर्वप्रथम चंद्रवंश कि स्थापना कि "
साभार - लेख के तथ्य संदर्भित पुस्तक- "हमारे गौरव " (लेखक- गौपाल सिंह राठोड़ जी) और कई वेब साइटों पर आधारित हैं!!
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Published by:- Yaduvanshi Kunwar Abhay Pratap Singh
यदुवंशी क्षत्रिय ( जादौन/जादव , जाडेजा , भाटी और चुडासमा ) .. जय चंद्रवंशीय अवतार भगवान श्री कृष्णा .. जय श्री ठाकुर जी महाराज...
इन वीर क्षत्रियों के इतिहास के वर्णन से पूर्व इनकी उत्पति के बारे में विचार करते हे |
आदिकालीन ऋषि अत्रि के वंशज सोम की संपत्ति (सोमवंशी ) चंद्रवंशी कहलाये। इस वंश के छठे (6th) चंद्रवंशी राजा ययाति के पुत्र चंद्रवंशी राजा यदु के वंशज "यदुवंशी" कहलाये। यदुवंश की 39वी पीढ़ी में श्री कृष्णा हुए और वही श्री कृष्णा से 88वी पीढ़ी के राजा भाटी अंतिम यदुवंशी शासक हुए। अंतिम यदुवंशी शासक से अभिप्राय यह कि राजा भाटी के बाद यदुवंश यादों , भाटी , जाडेजा और चुडासमा उपशाखाओ से जाना गया। यादों से जादों और फिर जादौन/जादव ,, इस प्रकार यदुवंश में भाटी , जादौन/जादव , जाडेजा और चुडासमा ( जाडेजा और चुडासमा गुजरात में सबसे ज्यादा है ) राजपूत वंश चले। वर्तमान में करोली ( राजस्थान ) यदुवंशी जादौन ( जादव ) राजपूतो की सबसे बड़ी रियासत है।जिसकी स्थापना 13वी शताब्दी में हुयी थी।
करोली राजघराने से आकर ठाकुर छतरभुज सिंह जी ने उत्तर प्रदेश के एटा जिले में अबागढ़ जागीर वसाई। (Thakur Chhatarbhuj Singh was founder of the present jagir of Awargarh in 1701) राजा बलवंत सिंह (Raja Saheb of Awagarh 1892/1909) अबागढ़ जागीर के वहुप्रसिद्ध राजा हुए है , इन्होने कॉलेज निर्माण के लिए हजारो एकड़ जमीन दान में दी। जहा उनकी म्रत्यु (1909) के बाद उनके नाम से "राजा बलवंत सिंह कॉलेज " आगरा में बनवाया गया।
जादौन राजपूतो के ठिकाने -अबागढ़ , मिश्रा , सोमानी (अलीगढ ) अलीगढ जिले में लगभग ८०-१०० गाँव है। , कोटला ,रहिहाबाद , शमशाबाद (आगरा ), मुसफाबाद ,घिरौर (मैनपुरी ) , सिरसागंज (फिरोजाबाद ) ,सिरसागंज के आस -पास जादौन राजपूतो के लगभग 84 गाँव है। यहा जादौन राजपूत करौली और बयाना के क्षेत्रो से संवत 1400 से 1600 के बीच में आ कर बसे | अडीग ( मथुरा ) , कौल ,हसनगढ़ , अकबराबाद, सिकदाराराम , खैर , किरावली , जेवर ( बुलन्दशहर ) इसके आलावा बुलन्दशहर में लगभग १००-१५० गाँव ऐसे है जहा जादौन राजपूत बहुतायत में है। आदि उत्तरप्रदेश में जादौन राजपूतो के ठिकाने है। इस प्रकार उत्तरप्रदेश में लगभग ४००-४५० गाँव जादौन राजपूतो के है। उत्तरप्रदेश में बसे ज्यादातर जादौन करोली से आये अपने पूर्वजो की संतान है। करोली जिले में जादौ पट्टी में 37 जादौन के ठिकाने है। भिंड और मुरैना मध्यप्रदेश में भी जादौन के लगभग 30 गाँव है। कुछ के नाम यहाँ उपलब्ध है - ( मुरैना ->> चचिहा ,धमकन,अटा, कीरतपुर, सुमावली, नरहेला, बुरावली,शहदपुर, बडोना, बांसी, गढ़ी ,हथरिया ,घुरघान, केमरा। भिंड -->> सोंधा,मानपुरा,चंदपुरा, विजयपुरा,जेतपुरा,रसनोल, पीपरपुरा, बिरखड़ी , अटर तहसील में उडोतगढ़ ) .. मुरैना के पास सबलगढ़ में हीरापुर गाँव के आसपास बहुतायत में जादौन राजपूत बसे है। लगभग 50 गाँव है। राजस्थान के धोलपुर और भरतपुर के डीग में 15-20 गाँव हे।
करोली के जादौन श्री कृष्णा जी की 64वी पीढ़ी से है।
करौली जिले में जितने भी जादौन है उनकी 52 तड़े (शाखा) हैं। करौली जिले में जादौन तड़ है -गौंजा, पाल, मुकुन्द, रेदास, आदि है.
नोट - इन्दु और सोम संस्कृत में चन्द्र के पर्यायवाची है.. इसलिए चन्द्र-वंश , सोम-वंश अथवा इन्दु-वंश किसी भी शब्द का प्रयोग किया जा सकता है... संभवतः वर्तमान हिन्दू शब्द का मूल भी इन्दु ही हो। यदुवंश की ८ शाखाये बताई जाती है,,,
यदु (जादव /जादौन ) --- करोली का राजवंश
भाटी ---- - जैसलमेर का राजवंश
जाडेजा --- कुच्छ भुज का राजवंश
समैचा --- सिंध के मुसलमान
वाकी के बारे में कोई ठोस प्रमाण नही है..
जाडेजा और चुडासमा दोनों के बारे में ऐसा मत है की ये समा में से अलग हुए है,, जो की यदुवंश का हिस्सा था..
** इस लेख में मौजूद जादौन राजपूतो के ठिकाने के अलावा भी पूरे भारत में जादौन राजपूतो के और भी कई ठिकाने है , लेकिन जानकारी के आभाव में उनके नाम यहाँ उपलब्ध नही है।
** कुछ जगह करोली की स्थापना 15वी शताब्दी में हुयी बताई गयी है।
** चन्द्रवंशी राजाऔँ (श्रीकृष्ण के वंशज) कि अब तक 9 राजधानीयाँ जिनमेँ गजनी भी एक है के लिए कहा जाता है-
काशी मथुरा प्रयागबड़ गजनी अर भटनेर,
दिगम दिरावल लुद्रवो नौवोँ जैसलमेर।
यदुवंशी उत्पत्ती के बारेमे
अग्निपुराण प्रमाण है उसमे
अध्याय 274 मे सोमवंश के वर्णन मे लिखा है कि," भगवान विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्माजी,ब्रह्माजी से महा ऋषी अञि,अञि से
सोम,सोम से बुध एवं
पुरुरवा,पुरुरवा से आयु और आयु से नहुष हुए जिन्होने देश मे सर्वप्रथम चंद्रवंश कि स्थापना कि "
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